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फिस्टुला और फिशर में अंतर – बिहार के मरीजों के लिए समझना जरूरी

  • लेखक की तस्वीर: Kumar Rishank
    Kumar Rishank
  • 11 अक्टू॰
  • 2 मिनट पठन

फिस्टुला (Fistula) और फिशर (Fissure) गुदा (एनस) क्षेत्र की दो प्रमुख बीमारियाँ हैं, जो बिहार, पटना और बिहार शरीफ के लोगों में बार-बार दिखती हैं। दोनों के लक्षण मिलते-जुलते लग सकते हैं, लेकिन इलाज और कारण बिलकुल अलग हैं। सही जानकारी से जल्दी और सही इलाज आसान होता है।

बिंदु

फिस्टुला

फिशर

परिभाषा

गुदा या मलाशय से बाहर की त्वचा तक एक असामान्य सुरंग बनना, आमतौर पर इन्फेक्शन या फोड़े से

गुदा मार्ग की भीतरी सतह में छोटा चीरा या दरार

लक्षण

गुदा के पास लगातार मवाद/पानी आना, दर्द, सूजन या फोड़ा, बार-बार इन्फेक्शन

पाखाना पास करते समय व बाद में तेज चुभने/जलन जैसा दर्द, ताजा खून आना, टॉयलेट से डर

कारण

पुराना संक्रमण, बिना इलाज का फोड़ा, क्रोन्स डिजीज, टीबी

कब्ज, सख्त/बड़ा पाखाना, डिलिवरी, लगातार दस्त

स्थान

गुदा के अंदर से बाहर तक ट्रैक (बाहर छेद दिख सकता है)

अधिकतर (90%) गुदा के पीछे के मध्य में

स्वभाव

पुरानी/बार-बार होने वाली; दवा से ठीक नहीं होता

तीव्र या पुरानी; दवा व घरेलू देखभाल से ठीक हो सकता है

इलाज

अधिकांश मामलों में सर्जरी जरूरी – लेजर/फिस्टुलेक्टॉमी, सेटोन आदि

शुरुआत में दवा, मरहम, गर्म पानी में बैठना, अधिक पानी पिएँ; न ठीक हो तो छोटी सर्जरी (स्पिंक्सिटरोटॉमी)

भ्रम का नुकसान क्यों?

  • अगर फिस्टुला को फिशर समझकर केवल मरहम लगते रहें तो इन्फेक्शन और बढ़ सकता है; जरूरी सर्जरी में देरी होगी।

  • अगर फिशर को फिस्टुला समझ लें तो बेवजह चिंता या अप्रिय सर्जरी हो सकती है।


डॉक्टर से कब मिलें?

  • गुदा के पास बार-बार मवाद, सूजन, या घाव

  • पाखाने में दर्द/खून 2 हफ्ते में ठीक न हो

  • लक्षण बार-बार लौटे


अशिर्वाद हेल्थकेयर, पटना एवं बिहार शरीफ

  • अनुभवी कोलोरेक्टल/जनरल सर्जन

  • फिस्टुला के लिए आधुनिक लेजर/कीहोल सर्जरी

  • फिशर के लिए सुरक्षित दवा व आवश्यकता पर सर्जरी

  • गुदा रोगों के इलाज में बिहार का भरोसेमंद सेंटर


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